قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ (1)

(ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार

مَلِكِ النَّاسِ (2)

लोगों के बादशाह

إِلَٰهِ النَّاسِ (3)

लोगों के माबूद की (शैतानी)

مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ (4)

वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ

الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ (5)

जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है

مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ (6)

जिन्नात में से ख्वाह आदमियों में से