لِإِيلَافِ قُرَيْشٍ (1)

कितना है क़ुरैश को लगाए और परचाए रखना,

إِيلَافِهِمْ رِحْلَةَ الشِّتَاءِ وَالصَّيْفِ (2)

लगाए और परचाए रखना उन्हें जाड़े और गर्मी की यात्रा से

فَلْيَعْبُدُوا رَبَّ هَٰذَا الْبَيْتِ (3)

अतः उन्हें चाहिए कि इस घर (काबा) के रब की बन्दगी करे,

الَّذِي أَطْعَمَهُمْ مِنْ جُوعٍ وَآمَنَهُمْ مِنْ خَوْفٍ (4)

जिसने उन्हें खिलाकर भूख से बचाया और निश्चिन्तता प्रदान करके भय से बचाया