وَالتِّينِ وَالزَّيْتُونِ (1)

साक्षी है तीन और ज़ैतून

وَطُورِ سِينِينَ (2)

और तूर सीनीन,

وَهَٰذَا الْبَلَدِ الْأَمِينِ (3)

और यह शान्तिपूर्ण भूमि (मक्का)

لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ فِي أَحْسَنِ تَقْوِيمٍ (4)

निस्संदेह हमने मनुष्य को सर्वोत्तम संरचना के साथ पैदा किया

ثُمَّ رَدَدْنَاهُ أَسْفَلَ سَافِلِينَ (5)

फिर हमने उसे निकृष्टतम दशा की ओर लौटा दिया, जबकि वह स्वयं गिरनेवाला बना

إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فَلَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ (6)

सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे कर्म किए, तो उनके लिए कभी न समाप्त होनेवाला बदला है

فَمَا يُكَذِّبُكَ بَعْدُ بِالدِّينِ (7)

अब इसके बाद क्या है, जो बदले के विषय में तुम्हें झुठलाए?

أَلَيْسَ اللَّهُ بِأَحْكَمِ الْحَاكِمِينَ (8)

क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं हैं?