وَاللَّيْلِ إِذَا يَغْشَىٰ (1)
साक्षी है रात जबकि वह छा जाए,
وَالنَّهَارِ إِذَا تَجَلَّىٰ (2)
और दिन जबकि वह प्रकाशमान हो,
وَمَا خَلَقَ الذَّكَرَ وَالْأُنْثَىٰ (3)
और नर और मादा का पैदा करना,
إِنَّ سَعْيَكُمْ لَشَتَّىٰ (4)
कि तुम्हारा प्रयास भिन्न-भिन्न है
فَأَمَّا مَنْ أَعْطَىٰ وَاتَّقَىٰ (5)
तो जिस किसी ने दिया और डर रखा,
وَصَدَّقَ بِالْحُسْنَىٰ (6)
और अच्छी चीज़ की पुष्टि की,
فَسَنُيَسِّرُهُ لِلْيُسْرَىٰ (7)
हम उस सहज ढंग से उस चीज का पात्र बना देंगे, जो सहज और मृदुल (सुख-साध्य) है
وَأَمَّا مَنْ بَخِلَ وَاسْتَغْنَىٰ (8)
रहा वह व्यक्ति जिसने कंजूसी की और बेपरवाही बरती,
وَكَذَّبَ بِالْحُسْنَىٰ (9)
और अच्छी चीज़ को झुठला दिया,
فَسَنُيَسِّرُهُ لِلْعُسْرَىٰ (10)
हम उसे सहज ढंग से उस चीज़ का पात्र बना देंगे, जो कठिन चीज़ (कष्ट-साध्य) है
وَمَا يُغْنِي عَنْهُ مَالُهُ إِذَا تَرَدَّىٰ (11)
और उसका माल उसके कुछ काम न आएगा, जब वह (सिर के बल) खड्ड में गिरेगा
إِنَّ عَلَيْنَا لَلْهُدَىٰ (12)
निस्संदेह हमारे ज़िम्मे है मार्ग दिखाना
وَإِنَّ لَنَا لَلْآخِرَةَ وَالْأُولَىٰ (13)
और वास्तव में हमारे अधिकार में है आख़िरत और दुनिया भी
فَأَنْذَرْتُكُمْ نَارًا تَلَظَّىٰ (14)
अतः मैंने तुम्हें दहकती आग से सावधान कर दिया
لَا يَصْلَاهَا إِلَّا الْأَشْقَى (15)
इसमें बस वही पड़ेगा जो बड़ा ही अभागा होगा,
الَّذِي كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ (16)
जिसने झुठलाया और मुँह फेरा
وَسَيُجَنَّبُهَا الْأَتْقَى (17)
और उससे बच जाएगा वह अत्यन्त परहेज़गार व्यक्ति,
الَّذِي يُؤْتِي مَالَهُ يَتَزَكَّىٰ (18)
जो अपना माल देकर अपने आपको निखारता है
وَمَا لِأَحَدٍ عِنْدَهُ مِنْ نِعْمَةٍ تُجْزَىٰ (19)
और हाल यह है कि किसी का उसपर उपकार नहीं कि उसका बदला दिया जा रहा हो,
إِلَّا ابْتِغَاءَ وَجْهِ رَبِّهِ الْأَعْلَىٰ (20)
बल्कि इससे अभीष्ट केवल उसके अपने उच्च रब के मुख (प्रसन्नता) की चाह है
وَلَسَوْفَ يَرْضَىٰ (21)
और वह शीघ्र ही राज़ी हो जाएगा