وَالصَّافَّاتِ صَفًّا (1)

गवाह है परा जमाकर पंक्तिबद्ध होनेवाले;

فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا (2)

फिर डाँटनेवाले;

فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا (3)

फिर यह ज़िक्र करनेवाले

إِنَّ إِلَٰهَكُمْ لَوَاحِدٌ (4)

कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है।

رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ (5)

वह आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है और पूर्व दिशाओं का भी रब है

إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ (6)

हमने दुनिया के आकाश को सजावट अर्थात तारों से सुसज्जित किया, (रात में मुसाफ़िरों को मार्ग दिखाने के लिए)

وَحِفْظًا مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ مَارِدٍ (7)

और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित रखने के लिए

لَا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ وَيُقْذَفُونَ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ (8)

वे (शैतान) "मलए आला" की ओर कान नहीं लगा पाते और हर ओर से फेंक मारे जाते है भगाने-धुतकारने के लिए।

دُحُورًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ (9)

और उनके लिए अनवरत यातना है

إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ (10)

किन्तु यह और बात है कि कोई कुछ उचक ले, इस दशा में एक तेज़ दहकती उल्का उसका पीछा करती है

فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمْ مَنْ خَلَقْنَا ۚ إِنَّا خَلَقْنَاهُمْ مِنْ طِينٍ لَازِبٍ (11)

अब उनके पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी है। निस्संदेह हमने उनको लेसकर मिट्टी से पैदा किया।

بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ (12)

बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे है कि परिहास कर रहे है

وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ (13)

और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते,

وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ (14)

और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है

وَقَالُوا إِنْ هَٰذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ (15)

और कहते है, "यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है

أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ (16)

क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे?

أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ (17)

क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?"

قُلْ نَعَمْ وَأَنْتُمْ دَاخِرُونَ (18)

कह दो, "हाँ! और तुम अपमानित भी होंगे।"

فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنْظُرُونَ (19)

वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे है

وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَٰذَا يَوْمُ الدِّينِ (20)

और वे कहेंगे, "ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।"

هَٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ (21)

यह वही फ़ैसले का दिन है जिसे तुम झुठलाते रहे हो

۞ احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ (22)

(कहा जाएगा) "एकत्र करो उन लोगों को जिन्होंने ज़ुल्म किया और उनके जोड़ीदारों को भी और उनको भी जिनकी अल्लाह से हटकर वे बन्दगी करते रहे है।

مِنْ دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَىٰ صِرَاطِ الْجَحِيمِ (23)

फिर उन सबको भड़कती हुई आग की राह दिखाओ!"

وَقِفُوهُمْ ۖ إِنَّهُمْ مَسْئُولُونَ (24)

और तनिक उन्हें ठहराओ, उनसे पूछना है,

مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ (25)

"तुम्हें क्या हो गया, जो तुम एक-दूसरे की सहायता नहीं कर रहे हो?"

بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ (26)

बल्कि वे तो आज बड़े आज्ञाकारी हो गए है

وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ (27)

वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके पूछते हुए कहेंगे,

قَالُوا إِنَّكُمْ كُنْتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ (28)

"तुम तो हमारे पास आते थे दाहिने से (और बाएँ से)"

قَالُوا بَلْ لَمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ (29)

वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम स्वयं ही ईमानवाले न थे

وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُمْ مِنْ سُلْطَانٍ ۖ بَلْ كُنْتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ (30)

और हमारा तो तुमपर कोई ज़ोर न था, बल्कि तुम स्वयं ही सरकश लोग थे

فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ (31)

अन्ततः हमपर हमारे रब की बात सत्यापित होकर रही। निस्संदेह हमें (अपनी करतूत का) मजा़ चखना ही होगा

فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ (32)

सो हमने तुम्हे बहकाया। निश्चय ही हम स्वयं बहके हुए थे।"

فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ (33)

अतः वे सब उस दिन यातना में एक-दूसरे के सह-भागी होंगे

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ (34)

हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते है

إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَٰهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ (35)

उनका हाल यह था कि जब उनसे कहा जाता कि "अल्लाह के सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं हैं।" तो वे घमंड में आ जाते थे

وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَجْنُونٍ (36)

और कहते थे, "क्या हम एक उन्मादी कवि के लिए अपने उपास्यों को छोड़ दें?"

بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ (37)

"नहीं, बल्कि वह सत्य लेकर आया है और वह (पिछले) रसूलों की पुष्टि॥ में है।

إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ (38)

निश्चय ही तुम दुखद यातना का मज़ा चखोगे। -

وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ (39)

"तुम बदला वही तो पाओगे जो तुम करते हो।"

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ (40)

अलबत्ता अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है

أُولَٰئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَعْلُومٌ (41)

वही लोग है जिनके लिए जानी-बूझी रोज़ी है,

فَوَاكِهُ ۖ وَهُمْ مُكْرَمُونَ (42)

स्वादिष्ट फल।

فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ (43)

और वे नेमत भरी जन्नतों

عَلَىٰ سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ (44)

में सम्मानपूर्वक होंगे, तख़्तों पर आमने-सामने विराजमान होंगे;

يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ (45)

उनके बीच विशुद्ध पेय का पात्र फिराया जाएगा,

بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِلشَّارِبِينَ (46)

बिलकुल साफ़, उज्जवल, पीनेवालों के लिए सर्वथा सुस्वादु

لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنْزَفُونَ (47)

न उसमें कोई ख़ुमार होगा और न वे उससे निढाल और मदहोश होंगे।

وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ (48)

और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली, सुन्दर आँखोंवाली स्त्रियाँ होंगी,

كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَكْنُونٌ (49)

मानो वे सुरक्षित अंडे है

فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ (50)

फिर वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके आपस में पूछेंगे

قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ (51)

उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, "मेरा एक साथी था;

يَقُولُ أَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِينَ (52)

जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो?

أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَدِينُونَ (53)

क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?"

قَالَ هَلْ أَنْتُمْ مُطَّلِعُونَ (54)

वह कहेगा, "क्या तुम झाँककर देखोगे?"

فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاءِ الْجَحِيمِ (55)

फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा

قَالَ تَاللَّهِ إِنْ كِدْتَ لَتُرْدِينِ (56)

कहेगा, "अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे

وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ (57)

यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता

أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ (58)

है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं।

إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ (59)

हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!"

إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ (60)

निश्चय ही यही बड़ी सफलता है

لِمِثْلِ هَٰذَا فَلْيَعْمَلِ الْعَامِلُونَ (61)

ऐसी की चीज़ के लिए कर्म करनेवालों को कर्म करना चाहिए

أَذَٰلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ (62)

क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष?

إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ (63)

निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है

إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ (64)

वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है

طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُءُوسُ الشَّيَاطِينِ (65)

उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) है

فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ (66)

तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे

ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِنْ حَمِيمٍ (67)

फिर उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण होगा

ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ (68)

फिर उनकी वापसी भड़कती हुई आग की ओर होगी

إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءَهُمْ ضَالِّينَ (69)

निश्चय ही उन्होंने अपने बाप-दादा को पथभ्रष्ट॥ पाया।

فَهُمْ عَلَىٰ آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ (70)

फिर वे उन्हीं के पद-चिन्हों पर दौड़ते रहे

وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ (71)

और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके है,

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِمْ مُنْذِرِينَ (72)

हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे।

فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِينَ (73)

तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ (74)

अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है

وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ (75)

नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे है निवेदन स्वीकार करनेवाले!

وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ (76)

हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया

وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ (77)

और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ (78)

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَامٌ عَلَىٰ نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ (79)

कि "सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!"

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ (80)

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ (81)

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ (82)

फिर हमने दूसरो को डूबो दिया।

۞ وَإِنَّ مِنْ شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ (83)

और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था।

إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ (84)

याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया;

إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ (85)

जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम किस चीज़ की पूजा करते हो?

أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ (86)

क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो?

فَمَا ظَنُّكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ (87)

आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?"

فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ (88)

फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली

فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ (89)

और कहा, "मैं तो निढाल हूँ।"

فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ (90)

अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर

فَرَاغَ إِلَىٰ آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ (91)

फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, "क्या तुम खाते नहीं?

مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُونَ (92)

तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?"

فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ (93)

फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा

فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ (94)

फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए

قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ (95)

उसने कहा, "क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,

وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ (96)

जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?"

قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ (97)

वे बोले, "उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!"

فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ (98)

अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया

وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّي سَيَهْدِينِ (99)

उसने कहा, "मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा

رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ (100)

ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।"

فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ (101)

तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी

فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَىٰ فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرَىٰ ۚ قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ ۖ سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ (102)

फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, "ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?" उसने कहा, "ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।"

فَلَمَّا أَسْلَمَا وَتَلَّهُ لِلْجَبِينِ (103)

अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!)

وَنَادَيْنَاهُ أَنْ يَا إِبْرَاهِيمُ (104)

और हमने उसे पुकारा, "ऐ इबराहीम!

قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚ إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ (105)

तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते है।"

إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ الْبَلَاءُ الْمُبِينُ (106)

निस्संदेह यह तो एक खुली हूई परीक्षा थी

وَفَدَيْنَاهُ بِذِبْحٍ عَظِيمٍ (107)

और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ (108)

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा,

سَلَامٌ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ (109)

कि "सलाम है इबराहीम पर।"

كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ (110)

उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ (111)

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

وَبَشَّرْنَاهُ بِإِسْحَاقَ نَبِيًّا مِنَ الصَّالِحِينَ (112)

और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी

وَبَارَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلَىٰ إِسْحَاقَ ۚ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَظَالِمٌ لِنَفْسِهِ مُبِينٌ (113)

और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला

وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ (114)

और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके है

وَنَجَّيْنَاهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ (115)

और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया

وَنَصَرْنَاهُمْ فَكَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ (116)

हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे

وَآتَيْنَاهُمَا الْكِتَابَ الْمُسْتَبِينَ (117)

हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की।

وَهَدَيْنَاهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ (118)

और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِي الْآخِرِينَ (119)

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَامٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ (120)

कि "सलाम है मूसा और हारून पर!"

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ (121)

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है

إِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ (122)

निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे

وَإِنَّ إِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ (123)

और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था।

إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَلَا تَتَّقُونَ (124)

याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?

أَتَدْعُونَ بَعْلًا وَتَذَرُونَ أَحْسَنَ الْخَالِقِينَ (125)

क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो;

اللَّهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ (126)

अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!"

فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ (127)

किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ (128)

अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ (129)

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَامٌ عَلَىٰ إِلْ يَاسِينَ إِلْ يَاسِينَ (130)

कि "सलाम है इलयास पर!"

إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ (131)

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते है

إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ (132)

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

وَإِنَّ لُوطًا لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ (133)

और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था

إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ (134)

याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया,

إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ (135)

सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी

ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ (136)

फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया

وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِمْ مُصْبِحِينَ (137)

और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए

وَبِاللَّيْلِ ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ (138)

और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?

وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ (139)

और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था

إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ (140)

याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला,

فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ (141)

फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई

فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ وَهُوَ مُلِيمٌ (142)

फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था।

فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِينَ (143)

अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता

لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ (144)

तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे।

۞ فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ (145)

अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया।

وَأَنْبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطِينٍ (146)

हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था

وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَىٰ مِائَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ (147)

और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा

فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَىٰ حِينٍ (148)

फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया।

فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ (149)

अब उनसे पूछो, "क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे?

أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ (150)

क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?"

أَلَا إِنَّهُمْ مِنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ (151)

सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते है

وَلَدَ اللَّهُ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ (152)

कि "अल्लाह के औलाद हुई है!" निश्चय ही वे झूठे है।

أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ (153)

क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है?

مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ (154)

तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा फ़ैसला करते हो?

أَفَلَا تَذَكَّرُونَ (155)

तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते?

أَمْ لَكُمْ سُلْطَانٌ مُبِينٌ (156)

क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है?

فَأْتُوا بِكِتَابِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ (157)

तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो

وَجَعَلُوا بَيْنَهُ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا ۚ وَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ إِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ (158)

उन्होंने अल्लाह और जिन्नों के बीच नाता जोड़ रखा है, हालाँकि जिन्नों को भली-भाँति मालूम है कि वे अवश्य पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे-

سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ (159)

महान और उच्च है अल्लाह उससे, जो वे बयान करते है। -

إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ (160)

अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिन्हें उसने चुन लिया

فَإِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ (161)

अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे,

مَا أَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِينَ (162)

तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते,

إِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيمِ (163)

सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो

وَمَا مِنَّا إِلَّا لَهُ مَقَامٌ مَعْلُومٌ (164)

और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है

وَإِنَّا لَنَحْنُ الصَّافُّونَ (165)

और हम ही पंक्तिबद्ध करते है।

وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ (166)

और हम ही महानता बयान करते है

وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ (167)

वे तो कहा करते थे,

لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ (168)

"यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती

لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ (169)

तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।"

فَكَفَرُوا بِهِ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ (170)

किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे

وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ (171)

और हमारे अपने उन बन्दों के हक़ में, जो रसूल बनाकर भेजे गए, हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी है

إِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنْصُورُونَ (172)

कि निश्चय ही उन्हीं की सहायता की जाएगी।

وَإِنَّ جُنْدَنَا لَهُمُ الْغَالِبُونَ (173)

और निश्चय ही हमारी सेना ही प्रभावी रहेगी

فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ (174)

अतः एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो

وَأَبْصِرْهُمْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ (175)

और उन्हें देखते रहो। वे भी जल्द ही (अपना परिणाम) देख लेंगे

أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ (176)

क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?

فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاءَ صَبَاحُ الْمُنْذَرِينَ (177)

तो जब वह उनके आँगन में उतरेगी तो बड़ी ही बुरी सुबह होगी उन लोगों की, जिन्हें सचेत किया जा चुका है!

وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ (178)

एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो

وَأَبْصِرْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ (179)

और देखते रहो, वे जल्द ही देख लेंगे

سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ (180)

महान और उच्च है तुम्हारा रब, प्रताप का स्वामी, उन बातों से जो वे बताते है!

وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ (181)

और सलाम है रसूलों पर;

وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ (182)

औऱ सब प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब के लिए है