طسم (1)
ता॰ सीन॰ मीम॰
تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ (2)
ये स्पष्ट किताब की आयतें है
لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ (3)
शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे
إِنْ نَشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِنَ السَّمَاءِ آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ (4)
यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ
وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ ذِكْرٍ مِنَ الرَّحْمَٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ (5)
उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते है
فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنْبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ (6)
अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है
أَوَلَمْ يَرَوْا إِلَى الْأَرْضِ كَمْ أَنْبَتْنَا فِيهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ (7)
क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है?
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (8)
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (9)
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰ أَنِ ائْتِ الْقَوْمَ الظَّالِمِينَ (10)
और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि "ज़ालिम लोगों के पास जा -
قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ (11)
फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?"
قَالَ رَبِّ إِنِّي أَخَافُ أَنْ يُكَذِّبُونِ (12)
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे,
وَيَضِيقُ صَدْرِي وَلَا يَنْطَلِقُ لِسَانِي فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَارُونَ (13)
और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे
وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنْبٌ فَأَخَافُ أَنْ يَقْتُلُونِ (14)
और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।"
قَالَ كَلَّا ۖ فَاذْهَبَا بِآيَاتِنَا ۖ إِنَّا مَعَكُمْ مُسْتَمِعُونَ (15)
कहा, "कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ है, सुनने को मौजूद है
فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ (16)
अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि हम सारे संसार के रब के भेजे हुए है
أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (17)
कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे।"
قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ (18)
(फ़िरऔन ने) कहा, "क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा,
وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنْتَ مِنَ الْكَافِرِينَ (19)
और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।"
قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ (20)
कहा, ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था
فَفَرَرْتُ مِنْكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكْمًا وَجَعَلَنِي مِنَ الْمُرْسَلِينَ (21)
फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया
وَتِلْكَ نِعْمَةٌ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنْ عَبَّدْتَ بَنِي إِسْرَائِيلَ (22)
यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।"
قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ الْعَالَمِينَ (23)
फ़िरऔन ने कहा, "और यह सारे संसार का रब क्या होता है?"
قَالَ رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ مُوقِنِينَ (24)
उसने कहा, "आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।"
قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُ أَلَا تَسْتَمِعُونَ (25)
उसने अपने आस-पासवालों से कहा, "क्या तुम सुनते नहीं हो?"
قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ (26)
कहा, "तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।"
قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ الَّذِي أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌ (27)
बोला, "निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।"
قَالَ رَبُّ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ إِنْ كُنْتُمْ تَعْقِلُونَ (28)
उसने कहा, "पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।"
قَالَ لَئِنِ اتَّخَذْتَ إِلَٰهًا غَيْرِي لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ الْمَسْجُونِينَ (29)
बोला, "यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।"
قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَيْءٍ مُبِينٍ (30)
उसने कहा, "क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?"
قَالَ فَأْتِ بِهِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ (31)
बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” ।
فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعْبَانٌ مُبِينٌ (32)
फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते है कि वह एक प्रत्यक्ष अज़गर है
وَنَزَعَ يَدَهُ فَإِذَا هِيَ بَيْضَاءُ لِلنَّاظِرِينَ (33)
और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते है कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है
قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُ إِنَّ هَٰذَا لَسَاحِرٌ عَلِيمٌ (34)
उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, "निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है
يُرِيدُ أَنْ يُخْرِجَكُمْ مِنْ أَرْضِكُمْ بِسِحْرِهِ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ (35)
चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करें; तो अब तुम क्या कहते हो?"
قَالُوا أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَابْعَثْ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ (36)
उन्होंने कहा, "इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए, और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए
يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍ (37)
कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।"
فَجُمِعَ السَّحَرَةُ لِمِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ (38)
अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए
وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنْتُمْ مُجْتَمِعُونَ (39)
और लोगों से कहा गया, "क्या तुम भी एकत्र होते हो?"
لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ السَّحَرَةَ إِنْ كَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ (40)
कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए
فَلَمَّا جَاءَ السَّحَرَةُ قَالُوا لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِنْ كُنَّا نَحْنُ الْغَالِبِينَ (41)
फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, "क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?"
قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًا لَمِنَ الْمُقَرَّبِينَ (42)
उसने कहा, "हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।"
قَالَ لَهُمْ مُوسَىٰ أَلْقُوا مَا أَنْتُمْ مُلْقُونَ (43)
मूसा ने उनसे कहा, "डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।"
فَأَلْقَوْا حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ الْغَالِبُونَ (44)
तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दी और बोले, "फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।"
فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ (45)
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेकी तो क्या देखते है कि वह उसे स्वाँग को, जो वे रचाते है, निगलती जा रही है
فَأُلْقِيَ السَّحَرَةُ سَاجِدِينَ (46)
इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े
قَالُوا آمَنَّا بِرَبِّ الْعَالَمِينَ (47)
वे बोल उठे, "हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए -
رَبِّ مُوسَىٰ وَهَارُونَ (48)
मूसा और हारून के रब पर!"
قَالَ آمَنْتُمْ لَهُ قَبْلَ أَنْ آذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُ لَكَبِيرُكُمُ الَّذِي عَلَّمَكُمُ السِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ مِنْ خِلَافٍ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ (49)
उसने कहा, "तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।"
قَالُوا لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا مُنْقَلِبُونَ (50)
उन्होंने कहा, "कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले है
إِنَّا نَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَايَانَا أَنْ كُنَّا أَوَّلَ الْمُؤْمِنِينَ (51)
हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दें, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।"
۞ وَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِي إِنَّكُمْ مُتَّبَعُونَ (52)
हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।"
فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ (53)
इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा
إِنَّ هَٰؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ (54)
कि "यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है,
وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ (55)
और ये हमें क्रुद्ध कर रहे है।
وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ (56)
और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग है।"
فَأَخْرَجْنَاهُمْ مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (57)
इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों
وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ (58)
और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए
كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (59)
ऐसा ही हम करते है और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया
فَأَتْبَعُوهُمْ مُشْرِقِينَ (60)
सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया
فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَىٰ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ (61)
फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, "हम तो पकड़े गए!"
قَالَ كَلَّا ۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ (62)
उसने कहा, "कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।"
فَأَوْحَيْنَا إِلَىٰ مُوسَىٰ أَنِ اضْرِبْ بِعَصَاكَ الْبَحْرَ ۖ فَانْفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ (63)
तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "अपनी लाठी सागर पर मार।"
وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآخَرِينَ (64)
और हम दूसरों को भी निकट ले आए
وَأَنْجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَنْ مَعَهُ أَجْمَعِينَ (65)
हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया
ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ (66)
और दूसरों को डूबो दिया
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (67)
निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (68)
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَاهِيمَ (69)
और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ,
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَا تَعْبُدُونَ (70)
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौंम के लोगों से कहा, "तुम क्या पूजते हो?"
قَالُوا نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَاكِفِينَ (71)
उन्होंने कहा, "हम बुतों की पूजा करते है, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।"
قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ (72)
उसने कहा, "क्या ये तुम्हारी सुनते है, जब तुम पुकारते हो,
أَوْ يَنْفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ (73)
या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते है?"
قَالُوا بَلْ وَجَدْنَا آبَاءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ (74)
उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।"
قَالَ أَفَرَأَيْتُمْ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ (75)
उसने कहा, "क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो,
أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمُ الْأَقْدَمُونَ (76)
तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा?
فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِي إِلَّا رَبَّ الْعَالَمِينَ (77)
वे सब तो मेरे शत्रु है, सिवाय सारे संसार के रब के,
الَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهْدِينِ (78)
जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है
وَالَّذِي هُوَ يُطْعِمُنِي وَيَسْقِينِ (79)
और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है
وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ (80)
और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है
وَالَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحْيِينِ (81)
और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा
وَالَّذِي أَطْمَعُ أَنْ يَغْفِرَ لِي خَطِيئَتِي يَوْمَ الدِّينِ (82)
और वही है जिससे मुझे इसकी आकांक्षा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा
رَبِّ هَبْ لِي حُكْمًا وَأَلْحِقْنِي بِالصَّالِحِينَ (83)
ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला।
وَاجْعَلْ لِي لِسَانَ صِدْقٍ فِي الْآخِرِينَ (84)
और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर
وَاجْعَلْنِي مِنْ وَرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِيمِ (85)
और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर
وَاغْفِرْ لِأَبِي إِنَّهُ كَانَ مِنَ الضَّالِّينَ (86)
और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है
وَلَا تُخْزِنِي يَوْمَ يُبْعَثُونَ (87)
और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे।
يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ (88)
जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद,
إِلَّا مَنْ أَتَى اللَّهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ (89)
सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।"
وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ (90)
और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी
وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ (91)
और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी
وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ (92)
और उनसे कहा जाएगा, "कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो?
مِنْ دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنْصُرُونَكُمْ أَوْ يَنْتَصِرُونَ (93)
क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है?"
فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ (94)
फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग
وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ (95)
और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब।
قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ (96)
वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे,
تَاللَّهِ إِنْ كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ (97)
"अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे
إِذْ نُسَوِّيكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ (98)
जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे
وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ (99)
और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया
فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِينَ (100)
अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है,
وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ (101)
और न घनिष्ट मित्र
فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (102)
क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!"
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (103)
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (104)
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ (105)
नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया;
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ (106)
जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (107)
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (108)
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ (109)
मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (110)
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।"
۞ قَالُوا أَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْأَرْذَلُونَ (111)
उन्होंने कहा, "क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?"
قَالَ وَمَا عِلْمِي بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ (112)
उसने कहा, "मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है?
إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّي ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ (113)
उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती।
وَمَا أَنَا بِطَارِدِ الْمُؤْمِنِينَ (114)
और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ।
إِنْ أَنَا إِلَّا نَذِيرٌ مُبِينٌ (115)
मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।"
قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ (116)
उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।"
قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ (117)
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया
فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَنْ مَعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (118)
अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!"
فَأَنْجَيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ (119)
अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया
ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ (120)
और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (121)
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (122)
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ (123)
आद ने रसूलों को झूठलाया
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ (124)
जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (125)
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (126)
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ (127)
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़ि्म्मे है।
أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آيَةً تَعْبَثُونَ (128)
क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे?
وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ (129)
और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है?
وَإِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ (130)
और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो!
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (131)
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُونَ (132)
उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो
أَمَدَّكُمْ بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ (133)
उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से,
وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (134)
और बाग़ो और स्रोतो से
إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ (135)
निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।"
قَالُوا سَوَاءٌ عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُنْ مِنَ الْوَاعِظِينَ (136)
उन्होंने कहा, "हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो।
إِنْ هَٰذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ (137)
यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है
وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ (138)
और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।"
فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (139)
अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (140)
और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ (141)
समूद ने रसूलों को झुठलाया,
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ (142)
जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (143)
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (144)
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ (145)
मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آمِنِينَ (146)
क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे,
فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (147)
बाग़ों और स्रोतों
وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ (148)
और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है?
وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ (149)
तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो?
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (150)
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ (151)
और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो,
الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ (152)
जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है, और सुधार का काम नहीं करते।"
قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ (153)
उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है।
مَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا فَأْتِ بِآيَةٍ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ (154)
तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।"
قَالَ هَٰذِهِ نَاقَةٌ لَهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَعْلُومٍ (155)
उसने कहा, "यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है
وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ (156)
तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।"
فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ (157)
किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दी। फिर पछताते रह गए
فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (158)
अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (159)
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है
كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ الْمُرْسَلِينَ (160)
लूत की क़ौम के लोगों ने रसूलों को झुठलाया;
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ (161)
जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (162)
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (163)
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ (164)
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
أَتَأْتُونَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعَالَمِينَ (165)
क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो,
وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ ۚ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ (166)
और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।"
قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا لُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِينَ (167)
उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।"
قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُمْ مِنَ الْقَالِينَ (168)
उसने कहा, "मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ।
رَبِّ نَجِّنِي وَأَهْلِي مِمَّا يَعْمَلُونَ (169)
ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।"
فَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ (170)
अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया;
إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ (171)
सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ (172)
फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया।
وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ مَطَرًا ۖ فَسَاءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِينَ (173)
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (174)
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (175)
और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَ أَصْحَابُ الْأَيْكَةِ الْمُرْسَلِينَ (176)
अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया
إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ (177)
जबकि शुऐब ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (178)
मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (179)
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ الْعَالَمِينَ (180)
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
۞ أَوْفُوا الْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا مِنَ الْمُخْسِرِينَ (181)
तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो
وَزِنُوا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِيمِ (182)
और ठीक तराज़ू से तौलो
وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ أَشْيَاءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ (183)
और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ और फ़साद मचाते मत फिरो
وَاتَّقُوا الَّذِي خَلَقَكُمْ وَالْجِبِلَّةَ الْأَوَّلِينَ (184)
उसका डर रखो जिसने तुम्हें और पिछली नस्लों को पैदा किया हैं।"
قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ (185)
उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है
وَمَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا وَإِنْ نَظُنُّكَ لَمِنَ الْكَاذِبِينَ (186)
और तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है और हम तो तुझे झूठा समझते है
فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًا مِنَ السَّمَاءِ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ (187)
फिर तू हमपर आकाश को कोई टुकड़ा गिरा दे, यदि तू सच्चा है।"
قَالَ رَبِّي أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ (188)
उसने कहा, " मेरा रब भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो।"
فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ الظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ (189)
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर छायावाले दिन की यातना ने आ लिया। निश्चय ही वह एक बड़े दिन की यातना थी
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (190)
निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (191)
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
وَإِنَّهُ لَتَنْزِيلُ رَبِّ الْعَالَمِينَ (192)
निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है
نَزَلَ بِهِ الرُّوحُ الْأَمِينُ (193)
इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है,
عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ الْمُنْذِرِينَ (194)
ताकि तुम सावधान करनेवाले हो
بِلِسَانٍ عَرَبِيٍّ مُبِينٍ (195)
स्पष्ट अरबी भाषा में
وَإِنَّهُ لَفِي زُبُرِ الْأَوَّلِينَ (196)
और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है
أَوَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ آيَةً أَنْ يَعْلَمَهُ عُلَمَاءُ بَنِي إِسْرَائِيلَ (197)
क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है?
وَلَوْ نَزَّلْنَاهُ عَلَىٰ بَعْضِ الْأَعْجَمِينَ (198)
यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते,
فَقَرَأَهُ عَلَيْهِمْ مَا كَانُوا بِهِ مُؤْمِنِينَ (199)
और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते
كَذَٰلِكَ سَلَكْنَاهُ فِي قُلُوبِ الْمُجْرِمِينَ (200)
इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है
لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّىٰ يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ (201)
वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें
فَيَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ (202)
फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी,
فَيَقُولُوا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُونَ (203)
तब वे कहेंगे, "क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है?"
أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ (204)
तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे है?
أَفَرَأَيْتَ إِنْ مَتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ (205)
क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें;
ثُمَّ جَاءَهُمْ مَا كَانُوا يُوعَدُونَ (206)
फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है;
مَا أَغْنَىٰ عَنْهُمْ مَا كَانُوا يُمَتَّعُونَ (207)
तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा
وَمَا أَهْلَكْنَا مِنْ قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنْذِرُونَ (208)
हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं।
ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَالِمِينَ (209)
हम कोई ज़ालिम नहीं है
وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ الشَّيَاطِينُ (210)
इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं।
وَمَا يَنْبَغِي لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ (211)
न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है
إِنَّهُمْ عَنِ السَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ (212)
वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है
فَلَا تَدْعُ مَعَ اللَّهِ إِلَٰهًا آخَرَ فَتَكُونَ مِنَ الْمُعَذَّبِينَ (213)
अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी
وَأَنْذِرْ عَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ (214)
और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो
وَاخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (215)
और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो
فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّي بَرِيءٌ مِمَّا تَعْمَلُونَ (216)
किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, "जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।"
وَتَوَكَّلْ عَلَى الْعَزِيزِ الرَّحِيمِ (217)
और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो
الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ (218)
जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो
وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ (219)
और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है
إِنَّهُ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ (220)
निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है
هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَنْ تَنَزَّلُ الشَّيَاطِينُ (221)
क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते है?
تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍ (222)
वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते है
يُلْقُونَ السَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَاذِبُونَ (223)
वे कान लगाते है और उनमें से अधिकतर झूठे होते है
وَالشُّعَرَاءُ يَتَّبِعُهُمُ الْغَاوُونَ (224)
रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते है।-
أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِي كُلِّ وَادٍ يَهِيمُونَ (225)
क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं,
وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ (226)
और कहते वह है जो करते नहीं? -
إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَذَكَرُوا اللَّهَ كَثِيرًا وَانْتَصَرُوا مِنْ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا ۗ وَسَيَعْلَمُ الَّذِينَ ظَلَمُوا أَيَّ مُنْقَلَبٍ يَنْقَلِبُونَ (227)
वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक .याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं