وَيْلٌ لِكُلِّ هُمَزَةٍ لُمَزَةٍ (1)

तबाही है हर कचो के लगानेवाले, ऐब निकालनेवाले के लिए,

الَّذِي جَمَعَ مَالًا وَعَدَّدَهُ (2)

जो माल इकट्ठा करता और उसे गिनता रहा

يَحْسَبُ أَنَّ مَالَهُ أَخْلَدَهُ (3)

समझता है कि उसके माल ने उसे अमर कर दिया

كَلَّا ۖ لَيُنْبَذَنَّ فِي الْحُطَمَةِ (4)

कदापि नहीं, वह चूर-चूर कर देनेवाली में फेंक दिया जाएगा,

وَمَا أَدْرَاكَ مَا الْحُطَمَةُ (5)

और तुम्हें क्या मालूम कि वह चूर-चूर कर देनेवाली क्या है?

نَارُ اللَّهِ الْمُوقَدَةُ (6)

वह अल्लाह की दहकाई हुई आग है,

الَّتِي تَطَّلِعُ عَلَى الْأَفْئِدَةِ (7)

जो झाँक लेती है दिलों को

إِنَّهَا عَلَيْهِمْ مُؤْصَدَةٌ (8)

वह उनपर ढाँककर बन्द कर दी गई होगी,

فِي عَمَدٍ مُمَدَّدَةٍ (9)

लम्बे-लम्बे स्तम्भों में